Aparna Sharma

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लेखनी कहानी -#१५ पार्ट सीरीज चैलेंज पार्ट -13

#15 पार्ट सीरीज चैलेंज 

महादेव शिव शंकर की कथाओं में निहित ज्ञान और  प्रामाणिकता 

पार्ट -13 

महादेव और पार्वती 

कालांतर में हिमवान और रानी मैनावती के घर एक कन्या का जन्म हुआ!  

पांच वर्ष की आयु में वह अपनी माँ के साथ ऋषि दधीचि के आश्रम में गई!  
वो वहां खेल रही थी और कैलाश पर्वत पर तपस्या में लीन महादेव का डमरू वहां से लुढ़कता हुआ नीचे घाटी में पार्वती के पैरों के पास आ गिरा ! 
जैसे ही पार्वती ने उसे हाथ में लिया उसे मूर्छा आ गयी!  मूर्छा के दौरान उसने पुनर्जन्म की घटनाओं को देखा ! उसे पता चला कि वह सती है। 
होश में आने पर वो डमरू को लेकर दधीचि के पास गयी! उसने उन्हें स्वप्न के बारे में बताया! दधीचि बोले - ये डमरू महादेव का है। तुम सती का पुनर्जन्म हो ,तुम्हारा जन्म महादेव के लिए ही हुआ है!
उन्होंने पार्वती को महादेव की एक मूर्ति दी ! कहा -" ये तुम्हारे पति हैं और तुम्हें इनको पाना है!"

बस तभी से पार्वती को एक लक्ष्य मिल गया ! वो दिन रात महादेव की भक्ति में लगी रहती! 
युवती पार्वती अति सुंदर थी ! अनेकों कठिनाईयों और बाधाओं को पार करती पार्वती निरंतर शिव भक्ति और प्रेम में डूबी रहती!  
पार्वती बेहद बुद्धिमान, शांत, धैर्य वान ,विनम्र और दयालु थी ! 
एक दिन मैनावती के साथ नदी पर गगरी भर रही थी तभी उसने देखा कि एक बिच्छू नदी में डूब रहा है तो उसने उसे पकड़ कर बाहर निकालना चाहा ,बिच्छू ने डंक मार दिया!  दर्द से हाथ झटका तो बिच्छू फिर पानी में छूट गया! 
ऐसा कयी बार हुआ! पार्वती उसे बचाने के लिये उठाती और वह डंक मार देता !
मैनावती काफी़ देर से देख रही थी बोली -" मरने दो ना उसे ! जब वो बार बार डंक मार रहा है तो क्यों बचाने की जिद पर अड़ी हो ?
" मां बिच्छू का काम है डंक मारना और मेरा काम है उसको बचाना ! जब वो अपना काम नहीं छोड़ रहा तो मैं अपना काम क्यों छोड़ूं ? आखिरकार पार्वती बिच्छू को पानी से बाहर निकालने में सफल हुई!  
मैनावती बोली - तेरा यही दृढ़ निश्चय और जिद तुझे एक दिन लक्ष्य तक ले जायेगी !
एक दिन नारद आए पार्वती को महादेव की मूर्ति की पूजा करते देख बोले -" देवी , महादेव शिव को प्राप्त करना है तो शिवलिंग स्थापित कर मानसरोवर से गंगा जल लाकर अभिषेक कीजिए फिर शिवलिंग की ही नियमित पूजा करें ! 
महादेव ने पार्वती की परीक्षा  ली , पार्वती परीक्षा में सफल हुई!  हो 
नारायण आए और पार्वती से बोले -" पार्वती तुम जिसको प्राप्त करना चाहती हो वो अतुलनीय है सर्व श्रेष्ठ है तो तुम्हारा रास्ता और परिक्षाएं सरल नहीं होंगी 
पार्वती सिर्फ शिव की पूजा से प्राप्ति नहीं होगी , अपने सारे विकारों को पूरी तरह नष्ट कर पूर्ण परिष्कृत होना होगा ! फिर कठिन तप करना होगा ! तुम महलों में रहने की आदी हो, तुमसे नहीं होगा !"
" मैं महादेव से अथाह प्रेम करती हूँ, उनके लिए सब कुछ छोड़ दूंगी !
पूर्ण परिष्कृत होकर कठोर तपस्या करूंगी! इसमें मेरी जान भी निकल जाए तो मुझे कोई मलाल ना होगा! मेरे जीवन की अंतिम सांस तक प्रयत्न करूंगी!"

पार्वती ने बेहद कठोर तप किया! पहले बर्फ के शिवलिंग बनाए ! बर्फ की गुफा़ में पहले बैठकर, फिर खड़े होकर, फिर एक पैर पर, फिर फलाहार ,फिर निराहार, फिर पत्ते खाकर , फिर पत्ते भी छोड़ कर *अपर्णा* हो गई, सिर्फ धुंआ पी कर रहने लगी ! 
महादेव को इस भयानक कठिन तप के बारे में पता चला तो वे पार्वती के पास आए !
भूखी प्यासी इतना कठोर तप करने से उसका शरीर सूख गया था ! आंखों के नीचे काले गड्ढे हो गए थे ,रंग काला पड़ गया था उसकी ऐसी हालत देख कर महादेव की आंखों से आंसू बहने लगे , उन्होंने उसे गले से लगा लिया और उसपर अभिमंत्रित गंगा जल छिड़क कर पहले की भांति सुन्दर बना दिया! 
पार्वती अत्यंत गौरवर्ण हो गई!  पार्वती के इस रूप को महागौरी कहा जाता है। 
नव दुर्गा के नौ रूप पार्वती के ही माने जाते हैं!  
असुरों के विनाश के लिए शिव की शक्ति से जुड़कर देवी ने ये रूप लिए थे ! 
इसके बाद  महादेव और पार्वती का विधिवत विवाह हुआ!  
एक लंबे इंतजार के बाद, हजारों वर्षों की प्रतिक्षा के बाद आखिरकार शिव पार्वती का मिलन हुआ! 
आदि शक्ति एक बार फिर शिव की हो गई! 

*ज्ञान* :- १) जब पूरी शिद्दत से कुछ प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं और अपनी पूरी मेहनत उसमें लगा देते हैं तो कामयाबी निश्चित होती है! 
२) जब एक लक्ष्य लेकर उस पर लगातार बढ़ते रहें  तो एक दिन मंजिल पर निश्चित पहुंचते हैं! चाहे रास्ता कितना भी कठिन और दुश्कर हो ! 
३) कठिन परीक्षाएं पास करने के लिए मन में दृढ़ संकल्प, एक जुनून या जिद होना बहुत जरूरी है! 
४) कहते हैं हर स्त्री में देवी के नौ रुप विद्यमान होते हैं जो समय के हिसाब से प्रकट होते हैं! 

*प्रामाणिकता* :- इसके प्रमाण देने की मेरे खयाल से आवश्यकता नहीं है क्योंकि महादेव मंदिर या शिव परिवार की फोटो या मूर्ति में सदैव पार्वती विद्यमान होती है!  
देवी के हजारों मंदिर भारत ही नहीं विदेशों में भी मौजूद  हैं !

अपर्णा गौरी शर्मा 

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3 Comments

hema mohril

02-Jul-2023 12:41 PM

Nice

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वानी

15-Jun-2023 10:30 AM

Nice

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